Bank of Baroda ब्रांच मैनेजर आत्महत्या केस: बैंकिंग सेक्टर में वर्क प्रेशर की कड़वी सच्चाई
नमस्कार दोस्तों, और स्वागत है आपके अपने ब्लॉग Banking and Business Update में।
आज हम एक बेहद दुखद घटना पर बात करने जा रहे हैं – एक ऐसी सच्चाई जो देश के बैंकों में काम करने वाले हजारों कर्मचारियों के दिल को छू गई है।
महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती ब्रांच में Bank of Baroda के एक वरिष्ठ ब्रांच मैनेजर ने बैंक के अंदर ही आत्महत्या कर ली। यह घटना न केवल दर्दनाक है, बल्कि यह भारत के पब्लिक सेक्टर बैंकों में बढ़ते वर्क प्रेशर और टारगेट कल्चर पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
📹 पत्नी का वायरल वीडियो: सच्चाई सामने लाता हुआ
इस घटना के बाद एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उस ब्रांच मैनेजर की पत्नी अपने पति पर पड़े काम के दबाव और सीनियर अधिकारियों के अपमानजनक व्यवहार के बारे में बता रही हैं।
उनकी आवाज़ में दर्द है, और यह वीडियो साफ दिखाता है कि किस तरह इंसान मानसिक रूप से टूट जाता है जब सम्मान की जगह अपमान मिले।
🕯️ यह अकेला मामला नहीं है…
दोस्तों, यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले दो सालों में इसी तरह की कई घटनाएं सामने आई हैं:
- जुलाई 2025: बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य प्रबंधक श्री शिवशंकर मित्रा ने आत्महत्या की। उन्होंने अपनी resignation देने के बाद भी नौकरी कर रहे थे और नोट में "वर्क प्रेशर" को जिम्मेदार ठहराया।
- अक्टूबर 2024: बजाज फाइनेंस के एरिया मैनेजर तरुण सक्सेना ने खुदकुशी की। उन्होंने लिखा कि उन्हें 45 दिनों से ठीक से सोने या खाने का समय नहीं मिला, और सीनियर्स लगातार बेइज्जती कर रहे थे।
- सितंबर 2024: HDFC बैंक के लखनऊ ब्रांच के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट की अचानक मृत्यु हुई, जिसके पीछे भी अत्यधिक काम का दबाव बताया गया।
- जनवरी 2025: हैदराबाद में एक महिला असिस्टेंट मैनेजर ने आत्महत्या कर ली, वजह वही—काम का अत्यधिक तनाव।
😔 कारण क्या हैं?
इन घटनाओं में कुछ बातें कॉमन हैं:
👉 हद से ज्यादा टारगेट
👉 एक साथ कई कैंपेन का दबाव
👉 स्टाफ की भारी कमी
👉 और सबसे दुखद – सीनियर अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जाना
एक बैंक कर्मचारी ने लिखा:
"क्लस्टर मैनेजर, रीजनल हेड और जोनल हेड से मिलने वाला अपमान अब आम बात हो गई है। हफ्ते में एक दिन भी समय पर घर लौट पाना मुश्किल है।"
🛑 अब क्या होना चाहिए?
इन घटनाओं को देखकर बैंक यूनियनों ने जोरदार मांग की है:
- कर्मचारियों पर टारगेट का दबाव कम किया जाए
- ब्रांचों में पर्याप्त स्टाफ नियुक्त किया जाए
- मानसिक स्वास्थ्य के लिए काउंसलिंग और सपोर्ट सिस्टम बढ़ाया जाए
- काम के माहौल को सम्मानजनक बनाया जाए
Bank of Baroda ने एक बयान में कहा है कि वे Employee Assistance Programme चला रहे हैं, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि यह सिर्फ कागजों तक सीमित है, ज़मीनी स्तर पर इसका कोई असर नहीं दिखता।
🔚 निष्कर्ष
बैंकिंग सेक्टर की यह सच्चाई चौंकाने वाली जरूर है, लेकिन इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
काम का दबाव, अपमानजनक भाषा, और इंसानियत से दूर होता वर्क कल्चर अब कई जिंदगियों को निगल चुका है।
🙏 अगर आप एक बैंक कर्मचारी हैं, तो कृपया अपनी मानसिक स्थिति को प्राथमिकता दें। और अगर आप नीतिगत स्तर पर जुड़े हैं, तो यह समय है कुछ ठोस कदम उठाने का।
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